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ईश्वर तो है कहीं अयोध्या में / गोविन्द माथुर

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मैं मूर्ख अज्ञानी
पता नहीं अब तक
क्या-क्या पढ़ता रहा
न जाने किस
अंधकार में भटकता रहा
खोजता रहा
ईश्वर को अपने अन्दर

ईश्वर न तो मेरे अन्दर है
और न सर्वव्यापी
ईश्वर तो है कहीं
अयोध्या मथुरा या काशी में

हे महापुरूषों
हे पथप्रदर्शकों
मैं आपका आभारी हूँ
कि आपने मुझे पहचान दी
कि आपने मुझे राह दिखाई

कि आपने मुझे
ईश्वर का पता बता दिया