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उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया केसर कस्तूरी की चमचाई
उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे माथे पै मारी बिन्दी की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे मुखड़े पै मारी बेसर की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे छाती पै मारी माला की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे हाथां पै मारी गजरे की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे पायां पै मारी बिछुवा की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया