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उडीक / अर्जुनदेव चारण
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कागला
उडीक रा असवार
किण विध ऊंचैला
ऊजळी पाखां रौ
भार
कोवंस कोवंस री टेर
उडीकूं हूं थनै
थूं पैलौ सुर
छेहली गूंज
एकर तो उतर
म्हारै डागळै