भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उडीक रौ अरथ / चंद्रप्रकाश देवल
Kavita Kosh से
जगत री तमाम भासावां में
करणी चावूं
उडीक सबद रौ उल्थौ
पछै ठाळ अेक सागीड़ै
सबद री अवाज
सुथराई सूं चेपणी चावूं
खुद रै लिलाड़
पछै सै कीं बिसराय परौ
पाछौ जावणी चावूं वठै
जठा सूं वहीर व्हियौ हौ
अतरजांमी कदैक तौ पूरैला
किणीक भासा में
उडीक रौ अरथ।