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उतार फेंकूँगा / असंगघोष
Kavita Kosh से
तुम!
लदे-फंदे हो
मेरी पीठ पर
बैताल की मानिंद
बहुत जल्द
तुम्हें!
उतार फेंकूँगा
किसी गहरी खाई में
हमेशा के लिए।