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उत्तर सत्य – एक / राकेश रेणु
Kavita Kosh से
वह आदमी
आदमी नहीं ।
उसका अतीत, अतीत नहीं
इतिहास, इतिहास नहीं ।
वह स्त्री
स्त्री नहीं है
उसके हाथों में फूल
फूल नहीं,
सच, सच नहीं
टेलीविजन पर दिखे वह सच
पर्दे पर नाचे वह सच
मंच पर खड़ा,
नाच रहा सच
हाथ में कटार-सा सच
मृत्यु सत्य है
‘रामनाम’ सत्य है
मौत का तरीका सच है
मारना / खदेड़ना – बतंगड़
वह सच नहीं
सच है कि वह सच को जिबह करने ले जा रहा था
आँकड़े सच नहीं
आत्महत्या करने वाले का बयान सच नहीं
सच एक मरीचिका है
सच उसकी उँगलियों में फंसा
टूँगर है
नचाता है वह जिसे
विजय-पर्व के ठीक पहले ।