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उपला प आग / हरेश्वर राय
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हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बा
दिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा I
हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सन
ओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा I
हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसल
हमरा होंठन के सरगम शराब मिलल बा I
मन के बंजर बधार में बहार आ गइल
भरल फगुआ से सोगहग किताब मिलल बा I
जेठ जिनिगी में सावन के फूल खिल गइल
बूझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा I