भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उमर तीर्थ यात्री ज्यों थककर / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उमर तीर्थ यात्री ज्यों थक कर
करते क्षण भर को विश्राम,
नगर प्रांत के पास खोज कर
मर्मर तरु छाया अभिराम!
नव परिचित सुहृदों से करते
बैठ घड़ी भर स्नेहालाप,
उसी तरह हम जीवन पथ के
पांथ जुटे जग में क्षण याम!