उम्र सारी है इंतज़ार किया
हमने तुझको है बहुत प्यार किया
हम तो तनहाइयों में भी खुश थे
क्यों खिजाओं को यूँ बहार किया
दिल हमारा खुशी से झूम उठा
हम को अपनों में जब शुमार किया
खिल उठे फूल रातरानी के
लो चमेली ने भी सिंगार किया
हुस्न को कैद आईना करता
तू ने भी तो न खबरदार किया
सो रहे थे क़फ़स के साये में
याद ने तेरी बेक़रार किया
तोड़ता दिल रहा हमेशा तू
सब्र हर बार इख्तियार किया