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उसका कोई घर नहीं है / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
यह मेरा घर है
इसे मैंने अपनी कमाई से बनाया है
मैंने एक दिन एक रिक्शेवाले से पूछा-
क्यों भई तुमने अभी तक अपना घर नहीं बनाया क्या?
उसने मेरी बात का जवाब नहीं दिया
वह पसीना पोंछता रहा
बार-बार घंटी बजाता रहा
वैसे यह भी हो सकता है कि
यह सवाल मैंने मन ही मन उससे पूछा हो
और उसने इसका जवाब भी मन ही मन दिया हो
जिसे मैं सुन नहीं पाया
मैं इतना बहरा न होता
तो क्या मैं अपना मकान बनवा पाता
उसमें चैन की नींद सो पाता
और जब चाहता, बेचैन हो सकता!