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उसका सदका उतारते रहना / ईश्वरदत्त अंजुम
Kavita Kosh से
उसका सदका उतारते रहना
रंगे-हस्ती निखारते रहना
आरज़ुए हैं दुश्मने-इंसां
नफ़से-सर्कश को मारते रहना
बुगजो हिना से दूर ही रह कर
अपनी हस्ती सँवारते रहना
सर को रखना ख़ुदा के सजदे में
नाम उसका पुकारते रहना
उसका दीदार हो न हो लेकिन
आरती तुम उतारते रहना