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उसकी ऊँची उड़ान देखो तो / अलका मिश्रा

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उसकी ऊँची उड़ान देखो तो
ख़ुद पे उसका गुमान देखो तो

आसमां नापने को निकली है
एक नन्ही सी जान देखो तो

बाँटता है जो ग़म ज़माने के
दिल पे उसके निशान देखो तो

रूह जब जिस्म छोड़ देती है
रुख़ पे तब इत्मिनान देखो तो

उस ने ख़ुद को समझ लिया शायद
हो गया बेज़ुबान देखो तो