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उसे ले गए / नरेश सक्सेना
Kavita Kosh से
अरे कोई देखो
मेरे आंगन में कट कर
गिरा मेरा नीम
गिरा मेरी सखियों का झूलना
बेटे का पलना गिरा
गिरी उसकी चिडि़यां
देखो उड़ा उनका शोर
देखो एक घोंसला गिरा-
देखो वे आरा ले आए ले आए कुल्हाड़ी
और रस्सा ले आए
उसे बांधने
देखो कैसे काँपी उसकी छाया
उसकी पत्तियों की छाया
जिनसे घाव मैने पूरे
देखो कैसे कटी उसकी छाल
उसकी छाल में धंसी कुल्हाड़ी की धार
मेरे गीतों में धंसी मनौती में धंसी
मेरे घावों में धंसी
कुल्हाड़ी की धार
बेटे ने गिन लिये रूपये
मेरे बेटे ने
देखो उसके बाबा ने कर लिया हिसाब
उसे ले गए
जैसे कोई ले जाए लावारिस लाश
घसीट कर
ऐसे उसे ले गए
ले गए आंगन की धूप छांह
सुबह शाम
चिडि़यों का शोर
ले गए ऋतुएं
अबतक का संग साथ
सुख दुख सब जीवन-ले गये।