भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उस कहानी में / चरण जीत चरण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उस कहानी में बस इक वह था और मैं
फिर कहानी से वह गुम हुआ और मैं

एक टहनी पर कुछ कड़वे फल रह गए
वसवसे, बेबसी, फासला, और मैं

उसके जाने के बाद और बचता भी क्या ?
बस ख्यालों का इक सिलसिला और मैं

सब जुदाई की आवाज़ सुनने लगे
पेड़, ख़ुशबू, सफर, रास्ता और मैं

और फ़िर बज़्म में सिर्फ़ हम दो रहे
एक टूटा हुआ राबता और मैं

आग सिगरेट की राख में छुप गई
मेरे भीतर बहुत कुछ जला और मैं