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उस क्षण तक मैं मौन रहूँगा / शिवम खेरवार
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					उस क्षण तक मैं मौन रहूँगा। 
जबतक कौरव राजधर्म की, 
सत्य सभा का मान रखेंगे। 
जब तक कुछ शिशुपाल धर्म के, 
वचनों का सम्मान रखेंगे। 
सौ अपशब्दों तक निंदक से, 
वचन दिया! कुछ नहीं कहूँगा। 
दुर्योधन का स्वांग भले ही, 
मर्यादा विपरीत रहेगा। 
क्रूर दुःशासन यदि स्त्री की, 
लाज सोच निष्क्रीत रहेगा। 
अनुचित, उचित भले होंगे पर, 
निर्णय सब चुपचाप सहूँगा। 
उस क्षण तक मैं मौन रहूँगा। 
भले काल के हर पन्ने में, 
लाक्षागृह अनगिनत जलेंगे। 
पर यदि विदुर सरीखे ज्ञाता, 
धर्मनिष्ठ हो साथ चलेंगे। 
षड्यंत्रों! की रची अग्नि में, 
हर पांडव के संग दहूँगा।
 
	
	

