ऊभौ हूं अजै / कुमार अजय
हां, थारै किणी बीजै री कैयीजणै सूं
फगत तीन दिन पैली री वीं रात सूं ई
जद थारै अेक सनेसै माथै
आभै चमकतै बीजळां सूं ऊजळती
अर बरसतै मेह री छांटड़ल्यां सूं कंवळायीजी
वीं अंधारी अर करड़ी रात
म्हैं पूग्यौ हौ थारै घर री लारळी गळी
अर नीं ठाह किण बळ सूं
लांघनै दस-बारह फुट ऊंची वा भींत
कूदनै पड़îौ हौ जद
थारी वीं मोडकी गाय रै ठांण कनै
रात रै डेढ़ बजै
तद ई, नीं ठाह कद गडग्यौ हौ पगथळी मांय
वठै टूटेड़ी पड़ी किणी सीसी रौ काच
बरखतै मेह सूं हुयै कादै मांय नीं ठाह
कित्तौ लोही बैयौ हौ पगथळी सूं वीं रात
अर पछै गोबर-पोठै सूं भरीजी पण
थारै आवणै री उडीक सूं सौरमीजी
वीं पूळां री छांन रै अेक कूणै ल्हुकीजौ
उडीकतौ रैयौ हौ लगैटगै साढेै तीन बजै तांणी
पण नीं आयी थूं नीं ठाह क्यूं
अर आखी दुनिया रौ आसविहूणपणौ लेयनै
जद म्हैं बावड़नै री सोची
तौ थूं ई बता कीकर चढीजतौ
वीं ऊंची भींत माथै
आवती वेळा आयौ हौ कूदनै
वौ तौ हौ कुणई और ई
जिकौ चढग्यौ हौ झटदांई...
केई दिनां पछै जद मिल्यौ हौ
थारौ औ सनेसौ कै
वीं ई अंधारी अर करड़ी रात
उडीकनै घड़ी च्यारेक बावड़णौ पड़îौ हौ थन्नै
रात रा सवा बजै घर रै मांय
थारी बडी-मा रै खांसणै रै खुड़कै सूं-
सुणनै निसर गयौ हौ वौ अेक काच तौ
पण खुभग्या हा हीयै मांय
पिछतावै रा तीर केई
कांई नीं पूग सकै हौ म्हैं
घड़ी-दोय घड़ी पैलां वठै किणी भांत
बस पांच ई कोस तौ ऊपाळा चालणौ हौ
वीं अंधारी अर डरावू करड़ी रात मांय
कांई नीं धर सकै हौ पावंडा कीं तावळा
इयां करीजतौ तौ
हुय सकै ही जूंण री गत कीं और...
वीं रात गड्यै काच नै पगथळी अर
हुयेड़ै घाव नै हीयै लियां
जांणै ऊभौ हूं अजै तांणी
वीं ई बरसतै मेह
अर कादै-कीच सूं घिरी छांन मांय।
हां वीं रात सूं ई
जिकी रात हुय सकै ही थूं म्हारी समूळ
तजनै थारी सगळी दुनिया
सूंप देवती म्हनै थारौ सो-कीं...
हां, वीं रात सूं ई
थम्मी नीं है अेक छिण सारू ई
वीं अंधारी रात मांय बरसती-बरसावती
झुरती-झुरावती वा बिरखा बावळी।