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एक,दो,तीन,आजा मौसम है रंगीन / शैलेन्द्र
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एक दो तीन, आजा मौसम है रंगीन
आजा...
रात को छुप-छुप के मिलना
दुनिया समझे पाप रे
सम्हलके खिड़की खोल बलमवा
देखे तेरा बाप रे!
आजा...
ये मदमस्त जवानी है
तेरे लिये ये दिवानी है
डूब के इस गहराई में
देख ले कितना पानी है
आजा...
क्यूँ तू मुझे ठुकराता है
मुझसे नज़र क्यूँ चुराता है
लूट ये दुनिया तेरी है
प्यार से क्यूँ घबराता है
आजा...