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एक चाँद कम पड़ जाता है / गणेश पाण्डेय

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कई बार एक जीवन कम पड़ जाता है
एक प्यार कम पड़ जाता है कई बार
कई बार हज़ार फूलों के गुलदस्ते में
चम्पे का एक फूल कम पड़ जाता है
एक कोरस ठीक से गाने के लिए
एक हारमोनियम कम पड़ जाता है
कई बार ।

सांसें लम्बी हैं अगर
और हौसला थोड़ा ज़्यादा
तो तबीयत से जीने के लिए
एक रण कम पड़ जाता है
जो है और जितना है उतने में ही
एक दुश्मन कम पड़ जाता है।

दिल से हो जाय बड़ा प्यार अगर
तो कई बार
एक अफ़साना कम पड़ जाता है
एक हीर कम पड़ जाती है
ठीक से बजाने के लिए
सितार का एक तार कम पड़ जाता है
एक राग कम पड़ जाता है ।

कई बार
आकाश के इतने बड़े शामियाने में
एक चाँद कम पड़ जाता है
दुनिया के इस मेले में देखो तो
एक दोस्त कहीं कम पड़ जाता है
एक छोटी-सी बात कहने के लिए
कई बार एक काग़ज़ कम पड़ जाता है
एक कविता कम पड़ जाती है ।