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एक छोटी-सी ख़बर / कुमार विकल
Kavita Kosh से
[अचला कौशिश की स्मृति में]
अच्छे लोगों को गालियाँ मत दो
अच्छे लोग तो नन्हें ख़रगोश होते हैं
और एक लोमड़ी दुनिया में
मस्ती से उछलते—कूदते रहते हैं
और किसी एक दिन चर्चाओं के शिकारी जंगल में
अपने—आपको लहू—लुहान पाते हैं.
अच्छे लोग तो चंदन के पेड़ होते हैं
जो विषधरों की जकड़न में जवान होते हैं
और ज़िन्दगी के छोटे बड़े यज्ञों में
समिधा बन होम हो जाते हैं
अच्छे लोग लालची नहीं होते
वे मौनसून बादलों की तरह आते हैं
और कुछ देर बरस कर
आकाश से चले जाते हैं.
आज अखबार की बहुत सारी ख़बरों के बीच
एक छोटी —सी ख़बर यह भी है—
कल रात शहर के सबसे बड़े अस्पताल में
एक घायल बादल सिसकता हुआ आया था
और अंतिम रूप में बरस जाने से पहले
आकाश पर कुछ समय के लिए छाया था.