भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक धूप एक नदी / नरेन्द्र जैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धूप
एक पदार्थ है
जिसे हम कभी
पकड़ नहीं पाएंगे

एक
नदी
जिसमें तैर नहीं पाएंगे कभी

धूप
एक
पत्थर है
हमसे जो कभी
गढ़ा नहीं जाएगा