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एक प्रश्न / विजया सती
Kavita Kosh से
तुमने भी देखा होगा
बरसने से पहले
बदराया आसमान
नीली ज़मीन पर
सफ़ेद फूलों-सा छाया आसमान
तुमने भी देखा होगा
सूर्योदयी कलरव के बीच
लजीली अंगडाई लेता
गुलाबी आसमान
भरी दोपहर
बुरी तरह तमतमाया आसमान
साँझ ढले थका-मांदा पीला पड़ा आसमान
और कभी ठहर कर
हवा में हाथ हिलाता
धब्बेदार आसमान
तुमने भी तो देखा होगा!
फिर हताशा क्यों ?
इतने रंग बदलता है जब आसमान
हम तो फिर इंसान हैं!