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एक फाँक आँखि, एक फाँक नाक! / यात्री

कोना क’ बिसरिअउ?
अधक्के देखल ओहि रातुक ओहि ठाँक
एक फाँक आँखि, एक फाँक नाक!
कोना क’ बिसरिअउ?

गेल रही सेकेंड शो निनेमा
अबइत रही घूरल
सी ब्लाक, 3 सी ए च... अपन बासा दिश...
कोनो वाटरकेर जँगला रहइ फूजल
रेशमी-नील पर्दा छलइ सहजहिँ संयत कएने
बिजली क प्रकाशकेँ भितरे भितर भरि छाती, भरि कंठ
तइसँ ऊपर ड्योढ़ - बेढ़ केबाड़ो,शुद्ध - निरीह सन...
अपना सूरमेँ अबइत नजरि भेल ऊपर
आ’ कि देखल अध्क्के गोर-गोल मुखचन्द्र अर्धाश
सावधान सचेत एक फाँक आँखि
सङहि एक फाँक नाक
अधक्के देखना गेल
आ कि जँगला भ’ गेलइ बंद
आबिकँ अँगन्यास कएल मुदा
कतोकाल घरि रहल नचैत
कपारक भितरका कटोरीमध्य
धारण कए क्रमहि टकुरीक रूप
एक फाँक आँखि...
एक फाँक नाक...