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एक स्त्री जिसने अभी प्रेम नहीं किया / नीलोत्पल
Kavita Kosh से
मैं हमेशा से भूलता रहा
भूलता रहा कि
अँधेरे से एक जादूगरनी
अपनी रहस्यमयी दुनिया को
देखती है, खामोश रहती है
याद करने की कोशिश में
सर्दियों की एक सुबह, मक्खियों के पंख भीगे थे
जब वे बाहर आईं
अपने अज्ञात दड़बों से
भूल चुकी थीं
दुनिया के पैर गीले हैं
वे भिनभिनाती, मृत्यु के आसपास
हर मरी मक्खी एक अज्ञात सुबह है
मैं कई सुबहों से अकेला तफरीह करता हूँ
मेरे पास भूलने के लिए
नदी, पहाड़ और पेड़ हैं
याद रखने के लिए
ढेरों प्रेमिकाएँ और स्वप्न
मैं भूलता रहा कि
एक स्त्री जिसने अभी प्रेम नहीं किया
डूबी हुई है
उसके नजदीक से हवाएँ गुजरती है
और वह बस लीन है मेरी खामोशी में