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ऐसा राम कहाँ मिलता है? / जगन्नाथ त्रिपाठी
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ऐसा राम कहाँ मिलता है?
फागुन में प्रेमी-मन को आराम कहाँ मिलता है?
आराम मिले भी तो कोई निष्काम कहाँ मिलता है?
तोड़ दे भारी धनुष जो आज भ्रष्टाचार का
सत्ता के इस स्वयंवरण में ऐसा राम कहाँ मिलता है?