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ओळ्यूं : तीन / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
नांव थांरो
कदै नीं बिसरै
जे बिसरै ई तो
आंख्यां रै काच
नाचतो ई रैवै
थांरो उणियारो!
आंख्यां में भंवतो
थांरो उणियारो
थंारी ओळ री
इकलग ओळ्यूं
जाणै भींत माथै
ठोक्योड़ी कोई
अदीठ कील!