भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

औरतें: एक / तुलसी रमण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेत में बजता
आषाढ़ का ढोल
कुदालियाँ लेकर
            जुट जातीं औरतें
औरतें कुदालियाँ हैं
पृथ्वी से खेलती हुईं
           औरतें

जुलाई 1998