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औरत / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
औरत चाहै छै बोलै लेॅ
लेकिन ताला लगैलोॅ गेलोॅ छै
ओकरोॅ मुँहोॅ में
एक बेर फेरु सें
औरत चाहै छै चलै लेॅ
मतुर बेड़ी लगैलोॅ गेलोॅ छै
ओकरोॅ गोड़ोॅ में
एक बेर फेरु सें
औरत चाहै छै हाथ उठाय लेॅ
आततायी सिनी पर
प्रतिरोधोॅ में
मतुर लगैलोॅ गेलोॅ छै हथकड़ी
ओकरोॅ हाथोॅ में
एक बेर फेरु सें ।