भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कंठ में कंकर / गगन गिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कंठ में कंकर
कंठ में ठीकर
ठीकरे जा छिपी प्यास
जल हो कहाँ?
पैर में रस्ता
रस्ते में चक्कर
चक्कर में भटकन
कहाँ हो छाया?
आँख में पानी
पानी में चमकन
सूरज ही सब ओर
मेरा सपना कहाँ?
दिल में दरिया
दिल पर पत्थर
डुबोये बचाए जो
वो तिनका कहाँ?

प्यासमेंकंकर प्यासमेंठीकर चटकीअपनीगगरी जलहोकहाँ