भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
करती है माँ याद (हाइकु) / भावना कुँअर
Kavita Kosh से
१.
दुखी हिरणी
खोजती है अपना
बिछुड़ा छौना
२.
मैया पुकारे
आँगन में खेले हैं
नन्द दुलारे
३.
खुश बहुत
यशोदा मैया, जन्मा
कृष्ण कन्हैया।
४.
सुबक पड़ी
माँ से विदाई की थी
निष्ठुर घड़ी।
५.
माँ का आँचल
ममता का सागर
दुआ लहरें।
६.
आई हिचकी
करती है माँ याद
बेटा विदेश।
७.
माँ तो सदैव
करती रही त्याग
थकी ही नहीं।
८.
भुलाता दुख
ममता का आँचल
देता है सुख।
९.
रात भर थी
बैठी माँ सिरहाने
सोई ही नहीं।