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कर्मचारी / विजय गौड़

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बस बची रहे मेरी पेंशन,
ग्रेच्युटी
मेरा प्रोवीडेंट फंड

फिर चाहे घर बेचो
दुकान बेचो
खेत बेचो, खदान बेचो
बाँसुरी की तान बेचो

बेचो-बेचो इस
निकम्मे हिन्दुस्तान को बेचो
बस बची रहे मेरी पेंशन,
ग्रेच्युटी
मेरा प्रोवीडेंट फंड ।