भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता / कृष्णा वर्मा
Kavita Kosh से
कविता वह हथियार
बहे ना ख़ून जीत ले जंग
कविता वह उपहार
मिटा दे दिल से दिल के द्वंद्व
कविता वह विश्वास
जला दे अंधकार में दीप
कविता वह प्रयास
बिना सागर हो मोती सीप
कविता वह आधार
दरकने दे ना दिल का प्यार
कविता वह पतवार
डोलती नैया लग जाए पार
कविता वह उद्घोष
उड़ाए बड़े बड़ों के होश
कविता आशुतोष
भटकते दिल पाएं संतोष
कविता पहरेदार
चौकसी करती जो लगातार
कविता कहे उतार
जो तेरे जीवन का व्यवहार
कविता वह मशाल
दिखाए पल में राह सुजान
कविता ऐसा बाना
करे स्याह को झट सूफियाना
कहो न इसको फिक़राबंदी
कविता शब्दों का सम्मेलन।