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कविता की बात / तो हू

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पार्टी सेक्रेटरी भी... करता है कविता?

हाँ, कम्युनिस्ट और कविता प्रेमी युगल हैं अभिशप्त!


पतवार हो तो नाव को बारिश और अंधड़ की क्या परवाह

भटकती है नाव पर बिना पतवार के

खुले समुद्र में


सिर्फ़ काग़ज़ी नहीं है सेक्रेटरी का काम

उसे कान लगाए रखने हैं जीवन के हर संकेत पर

लाह की मुहर सा यदि सूखा नहीं है दिल अब तक

तो वह आँक सकता है

ज़्यादा साफ़ जीवन और कविता के चिह्न