भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कविता में कहने की आदत आई / कात्यायनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता में कहने की आदत आई
जब सोचा कि
अब न हो सकेगा
कविताएँ लिख पाना।
जीने का फ़लसफ़ा
मौत के अहसास ने दिया।
सबसे विकट प्यार हुआ
उम्मीदें छोड़ देने के बाद।
निर्जन में आविष्कृत हुआ
घनघोर शोर
जीवन का
बर्फ़ीली वादियों में
आँच लोक-ताप की।

रचनाकाल : अप्रैल 1996