भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहने की बातें / अज्ञेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुनो!
कुछ बातें ऐसी हैं
जो कहने की नहीं हैं
क्यों कि वास्तव में
कहने की तो वही हैं
पर कहना उन्हें इतिहास में बाँधना है
जो अतीत में है
जब कि बातें वे
बीतती नहीं हैं : जब कि कहना ही
बीत जाता है
सहना भर रह जाता है
और समय का सोता
रीत जाता है।