भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहां है अकल / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अकाल है गांव में
कह गया है प्रशासन
जो आया था
अभी-अभी
जमींदार की जीप पर ।

कहां है अकाल
पूछता सत्तू
चीखता है
जमींदार की बही में
कहां है अंगूठों का अकाल ?
साहूकार की चौपड़ी में
कहां है ब्याज का अकाल
और लगान वसूलते-वसूलते
प्रशासन क्यों हो गया है कंगाल ?

एक बार फिर
चीखता है सत्तू
थूकता है जीप पर ।