कातिक / ऋतु-प्रिया / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’
आइ आयल दुखद कातिक विषम तेरहम मास
कानि बैसलि कृषक कामिनि पड़लि पीड़ा फाँस
सुत विकल भूखें-
पिआसें रुग्ण पति बेहाल
रोग खीमा आबि गाड़ल
रूप धय विकराल
शरद सुमुखिक आँखि नोरेँ
अछि सजल भय गेल
तेँ तुषार - निपात व्याजेँ
तरल अछि आकाश
आइ आयल दुखद कातिक विषम तेरहम मास
चन्द्रिका धवलित क्रमहि
भय गेलि अतिशय क्षीण
दीपमाला साजि चाहय
पूर्त्ति विश्व प्रवीण
अश्रु-नेहक व्यथा-टेमी
जरय किन्तु न हाय
करय तम सँ पार
तारक-मालिका उपहास
आइ आयल दुखद कातिक विषम तेरहम मास
नाचि सुकरातो ना बाँचत
ई अभागल सूप
जैत पीटल राति व्यर्थे
पाबि पर्व अनूप
छथि प्रतीक्षा मे बहिन
बैसलि न अयला भाइ
कोन परि छठि पूजि खेपब
लैत दीर्घ निसास
आइ आयल दुखद कातिक विषम तेरहम मास
नित्य सुकुमारी कुमारी
लेसि आनथि दीप
नीपि कय तुलसीक चौरा
साँझ ताहि समीप
ई वरण करतीह गौरा
छाड़ि शिब, नहि आन
पूजि रहली, राखि मन मे
ई अटल विश्वास
आइ आयल दुखद कातिक विषम तेरहम मास
अछि लोटायल हरितिमा
धरणिक सजल अछि कोर
आइ स्वाती आबि बरिसत
चातकक चित - चोर
पुनि पुरातन पुरुष तोड़थ
आब गहगट निन्न
शिशिर कम्पन मे प्रकृति
भय जैत छिन्ने भिन्न
व्यर्थ श्रम सब हैत निष्फल रहत सब आयास
आइ आयल दुखद कातिक विषम तेरहम मास