भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
काला राक्षस-13 / तुषार धवल
Kavita Kosh से
सत्ताएं रंगरेज़
वाद सिद्धांत पूंजी आतंक
सारे सियार नीले
उस किनारे अब उपेक्षित देखता है मोहनदास
और लौटने को है
उसके लौटते निशानों पर कुछ दूब सी उग आती है।