अभी तक बोलता है
कालीबंगा के
थेहड़ में कौआ
परन्तु
नहीं उठता कोई
मेहमान की प्रतीक्षा में
मेहमाननवाजी के लिए !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
अभी तक बोलता है
कालीबंगा के
थेहड़ में कौआ
परन्तु
नहीं उठता कोई
मेहमान की प्रतीक्षा में
मेहमाननवाजी के लिए !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"