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कैंसर / पूजा प्रियम्वदा
Kavita Kosh से
हड्डियों के बहुत नीचे
नसों से कहीं गहरे
धमनियों में दौड़ते खून से
बहुत गहरा लाल
अतीत का एक थक्का जमा है
डॉक्टर डरता है
कैंसर बन गया तो
मैं कहती हूँ जाओ
तुम्हारी मशीनें न समझेंगी
रूह के नासूर