भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई जवाब नहीं मिलेगा / रुस्तम
Kavita Kosh से
एक दिन
तुम रह जाओगे
बिल्कुल अकेले
एक निर्जन पठार के
किनारे खड़े
तुम जानना चाहोगे
सारे संघर्षों का अर्थ
शून्य में
पाँव रखने तक
तुम्हें कोई जवाब नहीं मिलेगा।