कोई दिन याद करोगे रमता राम अतीत ।
आसन मार गुफा माहि बैठ्यो, याही भजन की रीत ।
असल चन्दन की धूनी रमाय, रंगमहल के बीच ।
पाट पाटम्बर की झोली सिमाद्यूँ, रेशम तनिया बीच ।
मैं तो जाणे थी जोगी संग चलेगा, छाँड़ि गया अधबीच ।
कोई दिन याद करोगे रमता राम अतीत ।
आसन मार गुफा माहि बैठ्यो, याही भजन की रीत ।
असल चन्दन की धूनी रमाय, रंगमहल के बीच ।
पाट पाटम्बर की झोली सिमाद्यूँ, रेशम तनिया बीच ।
मैं तो जाणे थी जोगी संग चलेगा, छाँड़ि गया अधबीच ।