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कौआ चाचा क्यों न आते / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

कौआ चाचा नहीं आजकल,
तुम छत पर क्यों आते?
काँव-काँव चिल्ला-चिल्ला कर,
हमको नहीं जगाते।

कौआ बोला सुनो भतीजे,
शहर नहीं अब भाते।
हवा बहुत ज़हरीली है,
हम साँस नहीं ले पाते।

क्यों न ढेरों पेड़ लगाकर,
हवा शुद्ध करवाते।
ईंधन वाला धुआँ मिटाकर,
पर्यावरण बचाते।