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कौन?/ नवारुण भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
सारी रात
चाँद के साबुन से
बादलों के झाग से सब कुछ ढँक कर
किसे गरज है
कि आकाश को धो दे?
सारा दिन
सूरज की इस्त्री से
विशाल नीली चादर की
सलवटे ठीक कर दे
कौन उठाए यह ज़ेहमत?
इसका जवाब जानते थे
कोपरनिकस
और जानती है
चार पहियों समेत पानी मे डूबी
ब्रेकडाउन-बस।