भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौवे / राजा खुगशाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे पेड़ की टहनियों पर

रात के टुकड़ों की तरह बैठे हैं ।


वे वातावरण को काटने के लिए

अपनी आवाज़ में

आरी का इस्तेमाल करते हैं ।


उन्हें देखते ही

आतंकित उड़ती हैं चिड़ियाँ ।


माँएँ उनकी ओर कंकड़ फेंकती हैं

वे बच्चों के हाथों से

रोटी छीन लेते हैं।


वे पेड़ की टहनियों पर

रात के टुकड़ों की तरह बैठे हैं ।