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क्या बतलागो तुम / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
सीता
तुमने नारी होकर
इतना अपमान सहा
क्या तुम अपनी
सहनशीलता का
परिचय दे रही थी
या फिर तुम सचमुच
एक पुरुष की परीक्षा
ले रही थी कि
कितना तपा सकते हो मुुझे
मैं तो साक्षात् शक्तिरूपा हूँ।