भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्यों / रेणु हुसैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ओ नन्ही मासूम परी
क्यों आ के गिरी मेरे आंचल में
मां सीता की धरती से
मरियम की कोख से

अंकुर से क्यूं निकली बाहर
कहीं किसी बागीचे में
किसी फूल-सी खिल जाती

अम्बर को तूने क्यूं छोड़ा
कहीं किसी बदली में रहती
खूब बरसती खेतों में
या कोई एक सितारा बनकर
अम्बर के अंधियारे में
चमकती रहती है ।

ओ नन्हीं मासूम परी
क्यों आ के गिरी मेरे आंचल में
मेरा आंचल नहीं है अम्बर
मैं भी सीता नहीं, ना मरियम
क्यों आ के गिरी
मेरे आंचल में ।