भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्यों नहीं जुटते / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
साल दर साल जोड़े
सदी बन गई
सांसो को जोड़ा जब
सुर बन गया
मन टूटे तो
देश बन गए
सीमाएं बन गईं
ईंट-ईंट जोड़ कर
इमारत बन गई
ईंटें जुड़ जाती हैं
क्यों नहीं जुड़ते मन