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क्रांति / आईदान सिंह भाटी

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वह आएगी
पर आएगी किसी की पीठ पर चढ़कर
क्यों कि वह है लंगड़ी

सब इन्तज़ार कर रहे हैं उसका ;
आकाश से नहीं
दिलों में उठ रहे हैं बवंडर
उथल-पुथल मची हुई है
लोग उठाने लगे हैं
राज्य, धर्म पर अँगुली ।
 
अनुवाद : मोहन आलोक