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खड़ा तो हूं / सांवर दइया

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हां SS
ठीक है
आज यहां
पक्षी नहीं आते-गाते
नहीं फूटती कोंपल कोई
नहीं लगते फल-फूल

लेकिन
इस तरह तो मत काटो
ठूंठ हूं तो क्या
कभी तो
यहां भी हुआ करता था
सब कुछ : फल-फूल-पत्ते
आया करते थे पक्षी
गाते थे गीत

ठीक है
आज अकेला हूं
लेकिन वक्त की मार झेलता
खड़ा तो हूं !

 

अनुवाद : नीरज दइया