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खड़े ने खप्पर धारणी / मालवी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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खड़े ने खप्पर धारणी
देवी जगदम्बा
थारे मदरो प्यालो हाथ
सदा मतवाली ओ
थारा पावां ने बिछिया सोवता वो
देवी जगदम्बा
थारी अनबट से लागी रयो बाद